Sakra Election 2020: सकरा विधानसभा का इतिहास यही कि एक ही बार मिलता कुछ करने का मौका, हर बार बदल जाता चेहरा
मुजफ्फरपुर: सकरा एवं मुरौल प्रखंडों की 37 पंचायतों को मिलाकर सकरा विधानसभा का निर्माण किया गया है। यहां के वोटर किसी भी उम्मीदवार को लंबी अवधि तक कुर्सी पर नहीं बैठने देते हैं। शिवनंदन पासवान एवं कमल पासवान को छोड़ कोई भी विधायक दूसरी बार यहां से जीत हासिल नहीं कर सके। कमल पासवान लगातार दो बार वर्ष 1990 एवं 1995 में यहां से विधायक बने थे। जबकि शिवनंदन पासवान एक बार आपातकाल के दौरान वर्ष 1977 में एवं दूसरी बार वर्ष 1980 में यहां से चुने गए। भाजपा आजतक इस सिटी से विधायक नहीं दे पाई।
विधानसभा क्षेत्र में कोई भी उम्मीदवार लगातार दूसरी बार जीत हासिल नही कर पाता है। वहां की जनता हर चुनाव में पुराने चेहरे को बदल देती है। इसलिए राजद ने न सिर्फ अपने विधायक लाल बाबू राम को टिकट से वंचित कर दिया बल्कि यह सीट महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को सौंप दी। कांग्रेस ने उमेश राम को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में भाजपा की टिकट पर अर्जुन राम ने चुनाव लड़ा था। लेकिन भाजपा ने भी इस बार यह सीट जदयू के हिस्से में डाल दी। जदयू ने अशोक कुमार चौधरी को मैदान में उतारा है। अशोक चौधरी ने पिछला चुनाव कांटी से निर्दलीय जीता था। पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी गीता कुमारी एवं लोजपा के संजय कुमार पासवान समेत 11 उम्मीदवार मैदान में हैं।
2020 के प्रमुख प्रत्याशी
अशोक कुमार चौधरी, जदयू
उमेश राम, कांग्रेस
गीता कुमारी, बसपा
संजय पासवान, लोजपा
2015 के विजेता, उपविजेता और मिले मत :
लाल बाबू राम ( राजद ) : 75010
अर्जुन राम (भाजपा ) : 61998
2010 के विजेता, उपविजेता और मिले मत :
सुरेश चंचल ( जेडीयू ) : 55427
लाल बाबू राम (राजद ) : 42375
2005 के विजेता, उपविजेता और मिले मत :
बिलट पासवान (जदयू ) : 36020
लाल बाबू राम ( राजद ) : 35948
कुल वोटर : 263322
पुरुष वोटर : 138308
महिला वोटर : 125009
टांसजेंडर वोटर : 5
जीत का गणित :
कांटी विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 2011 की जनगणना के हिसाब से 4.43 लाख है जबकि मतदाता 2.63 लाख। यहां की जनता हर चुनाव में नया विधायक चुनती है। यहां के लोगों का कहना है कि कुछ कर गुजरने के लिए पांच साल कम नहीं होता। इसलिए हर चुनाव में जनता अपना विधायक बदल देती है। तभी सभी बड़े दलों ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। यहां के चुनाव में भूमिहार एवं पिछड़ी जाति के मतदाता उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला करते हैं। इस बार भी जातियों का गठजोड़ उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला करेगा।
प्रमुख मुद्दे :
1. दो दशक से भी अधिक समय से सकरा को अनुमंडल बनाने की प्रखंडवासियों की मांग आसन्न चुनाव में एकबार फिर मुद्दा बनी है।
2. प्रखंड मुख्यालय में जलमीनार एवं पंप हाउस है लेकिन पानी की आपूॢत नहीं होती है। लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए भटकना पड़ता है।
3. सिचाई की सुविधा नदारद है। इससे किसानो को परेशानी होती है।