निर्भया के दोषियों को बचाने की कोशिश करने वाले वकील एपी सिंह लड़ेंगे हाथरस के आरोपियों का केस
राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया कांड में दोषियों को लंबे समय तक फांसी के फंदे पर लटकने से बचाने वाले वकील एपी सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। खबर है कि हाथरस कांड में युवती के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपियों को बचाने के लिए एपी सिंह कोर्ट में नजर आएंगे। एपी सिंह को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने आरोपियों का वकील नियुक्त किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसारस वकील एपी सिंह अब हाथरस केस में आरोपियों की तरफ से केस लड़ेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे राजा मानवेंद्र सिंह की तरफ से एपी सिंह को आरोपियों का केस लड़ने के लिए कहा गया है। हालांकि केस की पैरवी से जुड़ी खबर पर एपी सिंह की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
क्षत्रिय समाज की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि हाथरस केस के माध्यम से एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग करके सवर्ण समाज को बदनाम किया जा रहा है, जिससे खासतौर से राजपूत समाज बेहद आहत हुआ है। ऐसे में इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए मुकदमे की पैरवी आरोपी पक्ष की तरफ से एपी सिंह के द्वारा कराने का फैसला किया गया है।
जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की 19 वर्षीय दलित युवती के साथ वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में शीर्ष अदालत या हाईकोर्ट के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की गई है। जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और अधिवक्ता विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है, जिस पर न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से निष्पक्ष जांच के लिए उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा एक मौजूदा या सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराई जाए। इसके साथ ही इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की गई है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के अधिकारी आरोपियों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।