अनंत चतुर्दशी पर बन रहा विशेष योग, शुभ मुहूर्त में पूजा का मिलेगा 5 गुना फल, जानें पूजा विधि व महत्व
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। इस बार 1 सितंबर मंगलवार को है अनंत चतुर्दशी। साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना भी की जाती है।
माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और कहा जाता है कि लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करने से व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी पर बन रहा विशेष योग
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है और इसमें उदय व्यापिनी तिथि ग्रहण की जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। यदि मध्यान्ह काल तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा अच्छा होता है। 1 सितम्बर 2020 को सूर्योदय से प्रातः 9:39 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी तदुपरांत पूर्णिमा लग जायेगी जोकि 02 सितम्बर 2020 तक रहेगी।
अनंत चतुर्दशी पर पंचक लगने से मिलेगा पांच गुना फल
इस बार चतुर्दशी तिथि के साथ पूर्णिमा का यह योग 01 सितम्बर 2020, मंगलवार को घटित हो रहा है इस दिन पंचक भी है। पंचक किसी भी फल को 5 गुना अधिक देने में सहायक होता है। इस धनिष्ठा नक्षत्र सांय 4:38 बजे तक रहेगा जोकि शुभ फल देने वाला 23 वां नक्षत्र होता है अत: इस योग में पूजा पाठ का पांच गुना अधिक फल प्राप्त होगा इस विशिष्ट योग में अनंत चतुर्दशी व्रत के साथ विष्णुजी की पूजा का कई गुना फल प्राप्त होगा।
इस व्रत के नाम से लक्षित होता है कि यह दिन अन्त न होने वाले सृष्टि के कर्ता, निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। यह व्रत पुरूषों द्वारा किया जाता है, व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से हो रहा है, जो 01 सितंबर को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक है। ऐसे में 01 सितंबर को उदया तिथि मिल रही है, इसलिए अनंत चतुर्दशी 01 सितंबर को मनाई जाएगी।
ऐसे करें अनंत चतुर्दशी पर पूजा
अनंत चतुर्दशी के दिन मुख्यत: भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में अनंत धागा धारण करती हैं। यह धागा 14 गांठों वाला होता है। ये 14 गांठें भगवान श्री विष्णु के द्वारा निर्मित 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
– सबसे पहले चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
– इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर अनंत चतुर्दशी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।
– व्रत का संकल्प लेने के लिए इस मंत्र ‘ममाखिलपापक्षयपूर्वकशुभफलवृद्धये श्रीमदनन्तप्रीतिकामनया अनन्तव्रतमहं करिष्ये’ का उच्चारण करें।
इसके पश्चात पूजा स्थान को साफ कर लें।
– अब एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या कुश से बनी सात फणों वाली शेष स्वरुप भगवान अनंत की मूर्ति स्थापित करें।
– अब मूर्ति के समक्ष अनंत सूत्र, जिसमें 14 गांठें लगी हों उसे रखें। कच्चे सूत को हल्दी लगाकर अनंत सूत्र तैयार किया जाता है।
– अब आप आम पत्र, नैवेद्य, गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि भगवान अनंत की पूजा करें।
– भगवान विष्णु को पंचामृत, पंजीरी, केला और मोदक प्रसाद में चढ़ाएं।
पूजा के समय इस मंत्र को पढ़ें।
नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।। इसके बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनें। फिर कपूर या घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें।
व्रत करने वाले व्यक्ति को बिना नमक वाले भोज्य पादार्थों का ही सेवन करना होता है।
मंत्र- अनन्त सर्व नागानामधिप: सर्वकामद: सदा भूयात् प्रसन्नोमे यक्तानाम भयंकर:।। यह व्रत धन, पुत्रादि की कामना से विशेष किया जाता है।