किसान 6 जून को शाम 4 बजे ट्विटर पर चलाएंगे ‘कर्जा मुक्ति-पूरा दाम’ अभियान!
केंद्र सरकार ने किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम देने के मकसद से कई नीतिगत फैसले किए हैं, जिनमें आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के साथ ही वन नेशन वन मार्किट आदि अहम है लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ‘वन नेशन वन रेट (न्यूनतम समर्थन मूल्य)’ की गारंटी दे। साथ ही किसानों ने संपूर्ण कर्जा मुक्ति की मांग को लेकर 6 जून को शाम 4 बजे से ट्विटर पर ‘#कर्जा_मुक्ति_पूरा_दाम’ हैशटैग के साथ ऑनलाइन अभियान चलान का ऐलान किया है।
देश भर के 250 से ज्यादा किसान संगठनों ने इसमें भाग लिया है वही अखिल भारती स्वामीनाथन संघर्ष समिति के बिहार प्रदेश प्रभारी रौशन कुमार ने एन.एन.बी लाइव बिहार को बताया कि केंद्र सरकार वन नेशन वन मार्किट की बात तो कर रही है लेकिन देश में 85 फीसदी किसान छोटी जोत वाले हैं, जिनके पास दो एकड़ से भी कम जमीन है। इन किसानों की पहुंच अपने नजदीक की मंडियों तक भी नहीं है, तो फिर कैसे ये किसान अपना 6 से 8 बोरा अनाज लेकर दूसरे राज्यों की मंडियों में अच्छे भाव की उम्मीद में जा पायेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार छोटी जोत के किसानों की आय में सुधार करना चाहती है तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बिकने की गांरटी क्यों नहीं देती। इसलिए सरकार को वन नेशन वन मार्किट के बजाए वन नेशन वन रेट (एमएसपी) लागू करना चाहिए।
न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर खरीद करने वाले पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान हो
उन्होंने कहा कि डीजल, खाद, कीटनाशक या फिर बिजली जिस तरह से सरकारी भाव पर मिलते हैं, इसी तरह से किसानों की फसल भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर खरीद करने वाले पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किए हैं जिसमें खरीफ की प्रमुख फसल धान के समर्थन मूल्य में पिछले पांच साल की सबसे कम बढ़ोतरी 53 रुपये प्रति क्विंटल की गई है, जबकि पिछले एक साल में डीजल, खाद, कीटनाशक या बिजली और बीज की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। सरकार एमएसपी तो तय कर देती है, लेकिन खरीद के अभाव में किसानों को अपनी फैसले औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है। हालत यह है कि मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2000 रुपये प्रति क्विंटल है, तो मंडियों में 1200 से 900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना पर रहा है।
गांव के आसपास मंडियों की सुविधा हो, जिससे छोटे किसान भी मंडी तक पहुंच सके!
रौशन कुमार ने कहा कि 6 जून को शाम चार बजे कर्जा मुक्ति-पूरा दाम ट्रेंड करके न्यूनतम समर्थन मूल्य सी2+50 फीसदी की पुरानी मांग को मजबूती से उठायेंगे। उन्होंने कहा कि मंडियों में अब सरकारी नियंत्रण है, तभी किसान परेशान रहता है। खेती की जमीन वैसे ही कम हो रही है। इसलिए बेहतर होता अगर सरकार ‘वन नेशन वन मार्केट’ की बजाए ‘वन नेशन वन रेट’ लागू करती साथ ही गांव के आसपास मंडियों की सुविधा दे, जिससे छोटे किसान भी मंडी तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान को ‘प्रयोग’ की वस्तु मान लिया है। वन नेशन वन मार्केट एक जुमला है, जिसे सरकार ने कोरोना की नाकामी छिपाने के लिए जनता में फेंक दिया है।