लॉकडाउन 4.0 के भी मिल रहे संकेत, जानें मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद क्या बोले पीएम मोदी
नई दिल्ली : लॉकडाउन को पूरी तरह नहीं हटाने, बल्कि प्रतिबंधों में धीरे-धीरे छूट देने का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनका दृढ़ मत है कि लॉकडाउन के पहले तीन चरणों में जिन उपायों की जरूरत थी, वे चौथे में जरूरी नहीं हैं।” उन्होंने मुख्यमंत्रियों से 15 मई तक व्यापक रणनीति के लिए सुझाव देने को कहा कि वे अपने-अपने राज्यों में लॉकडाउन की व्यवस्था से कैसे निपटना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए संतुलित रणनीति बनाने की जरूरत है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि गांव इस महमारी से मुक्त रहें। पच्चीस मार्च से जारी 54 दिन का लॉकडाउन 17 मई को समाप्त होने वाला है। कोरोनो वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह लगाया गया था।
मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा, ‘‘ हमारे सामने दो चुनौतियां है– इस बीमारी के संक्रमण की दर घटाना और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सार्वजनिक गतिविधियों को धीरे-धीरे बढ़ाना तथा हमें दोनों ही उद्देश्यों को हासिल करने के लिए काम करना हेागा। ” सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मोदी ने कहा कि एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखना ही कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तबतक हथियार है जबतक हम टीका या हल नहीं ढूंढ़ नहीं लेते।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें समझना होगा कि दुनिया कोविड-19 के बाद बदल गयी है। अब दुनिया विश्वयुद्ध की भांति ही कोरोना पूर्व, कोरोना बाद, के रूप में होगी। और , हम कैसे काम करते हैं, उसमें इससे कई अहम बदलाव होंगे।” मोदी ने कहा कि जीवन का नया मार्ग ‘‘जन से जग तक” के सिद्धांत पर होगा।
ट्रेनों की बहाली का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने के लिए यह जरूरी था । लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी मार्गों पर सेवाएं बहाल नहीं की जाएंगी और सीमित संख्या में ही ट्रेनें चलेंगी। मोदी ने यह भी कहा, ‘‘मेरा दृढ़ मत है कि पहले चरण में जरूरी समझे गये कदमों की दूसरे चरण में जरूरत नहीं रही और इसी तरह तीसरे चरण में जरूरी समझे गये कदमों की चौथे चरण में जरूरत नहीं है।”
मोदी ने कोविड-19 के साथ लड़ाई में सभी मुख्यमंत्रियां को सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘ मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि 15 मई तक आप बताएं कि आपमें से हरेक अपने-अपने राज्य में लॉकडाउन को कैसे संभालना चाहता है। मैं चाहता हूं कि लॉकडाउन के दौरान और उसमें क्रमिक ढील के बाद चीजों से कैसे निपटेंगे, उसका आप ब्लूप्रिंट बनाएं।”
उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रियायतों के बाद भी कोविड-19 को गांवों तक फैलने से रोकने की होगी। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘ एक तरफ तो केंद्र चाहता है कि लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किया जाए जबकि दूसरी तरफ वह ट्रेन सेवाएं बहाल कर रहा है और भू-सीमाएं खोल रहा है। लॉकडाउन को जारी रखने की क्या तुक है जब रेलवे, भू-सीमाएं और अन्य क्षेत्रों को खोलने की इजाजत दी जाती है। यह विरोधाभासी है।”
करीब छह घंटे तक चली बैठक के दौरान कोरोना वायरस के संकट और लॉकडाउन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों के सुझावों के आधार पर ही आगे का रास्ता तय होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कई हिस्सों में आर्थिक गतविधियां धीरे-धीरे आरंभ हो गई हैं और आने वाले दिनों में ये गति पकड़ेंगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने की पैरवी करते हुए कहा कि लॉकडान से बाहर निकलने के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाई जाए और राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाए। दूसरी तरफ, तमिलनाडु में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि 31 मई तक ट्रेन सेवाओं की अनुमति न दें।