सकरा प्रखंड सह अंचल कार्यालय के दरवाजे दोपहर बाद खुलती है।
मुजफ्फरपुर के अंचल कार्यालय में 12:00 बजे तक बाबुओं की कुर्सी रहती है खाली, जनता को घंटों करना पड़ता है इंतजार
सकरा प्रखंड सह अंचल कार्यालय के दरवाजे 12:00 के बाद खुलती है. कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. वहीं खास लोगों को आवास पर बुलाकर काम किया जाता है।
सकरा प्रखंड के अंचल कार्यालय के कई साहबों की कुर्सी दिन के 12:00 बजे तक खाली रहती है. यहां साहब अपनी मर्जी से आते हैं और अपने ही मर्जी से जाते हैं. चाहे आम जनता को कितनी भी परेशानी क्यों नहीं झेलनी पड़े. ऐसा ही नजारा अंचल कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर पर देखने को मिला जहां जातीय, आवासीय और आय प्रमाण पत्र बनता है. वहां 12:15 बजे पर एक युवक हाथों में पेपर लिए अपना काम करवाने के लिए खड़ा था, जब उससे एनएनबी बिहार की टीम ने बात की तो उसने बताया कि काउंटर पर जवाब देने के लिए कोई नहीं है. अभी कोई सर नहीं आए हैं. तो दूसरे युवक को किसी दूसरे काम के लिए भी लेट हो रहा था.
खास व्यक्ति का अंदर से काम, आमजन घंटों परेशान!
लंबे समय इंतजार करने के बाद काउंटर से आवाज आई क्या काम है. एलपीसी बनवाने है उस पर उनकी ड्यूटी लगी है, उनसे पूछा कि जिनकी ड्यूटी लगी है वह कहां है, तो एक व्यक्ति की तरफ इशारा करके उन्होंने बताया कि उधर है. जबकि वह व्यक्ति कैमरों से अपना चेहरा छुपाते नजर आए. वहीं अंदर में कुछ लोग बैठे हुए थे, जब हमने अंदर बैठे लोगों की पड़ताल की तो मालूम चला कि वह जनप्रतिनिधि हैं और कुछ काम करवाने के लिए बैठे है. क्या उनका काम अंदर से होता है यहां?
बुजुर्ग महिलाओं को भी दौड़ाने में कोई कसर नहीं!
सुजावलपुर से चंदा देवी परिवारिक सदस्य प्रमाण पत्र बनवाने आई थी, लेकिन इन्हें इस काउंटर से उस काउंटर दौड़ाया जा रहा था. जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के द्वारा मुझे यहां भेजा गया है. यही मेरे पति का परिवारिक सदस्य प्रमाण पत्र मिलेगा. लेकिन जो देंगे वह सर अभी तक नहीं आए हैं 12:00 से ज्यादा हो रहा है, 1 साल से अधिक हो गया है पति की मृत्यु का बैंक में कुछ पैसा है हम उसे निकाल नहीं पा रहे हैं।
आम जनता को बैठने के लिए कुर्सी तक नही!
आम जनता को बैठने के लिए सकरा प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय में कुर्सी तक नहीं, ग्रामीण वह जनप्रतिनिधि किसी कार्य को लेकर अंचल कार्यालय जाते हैं ना समय पर कार्यालय आते हैं, न तो अंचलकर्मी कार्य में दिलचस्पी लेते है और न ही सीओ कुछ काम कर पाते हैं। और न बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं है। वहीं दलालों को बैठने के लिए तुरंत कुर्सी मिल मंगवाई जाती है। जब ग्रामीण पूछते हैं कि बैठने का व्यवस्था क्यों नहीं है तब अधिकारी कहते हैं आप अपने पैसे से खरीद कर रख दे, सरकार कुर्सी नहीं दी है।
मामले पर करवाई की जाएगी!
वहीं जिले के बारिए अधिकारी ने बताया कि अभी मामला संज्ञान में आया है, मामले की जांच करवाते हैं अगर ऐसा मामला है तो कार्रवाई की जाएगी और आगे से ऐसा कोई दिक्कत नहीं होगा।