किडनी कांड: फलों के सौदागर बेचने लगा जिंदगियां, झोलाछाप आरके सिंह ने पवन को बना दिया फर्जी डॉक्टर
मुज़फ्फरपुर: भूटान एवं दिल्ली में रहकर संतरे का व्यवसाय करने वाले पवन ने सपने में भी नहीं सोचा था की उसके नाम के आगे ‘डॉक्टर’ लिखा जाएगा, लेकिन यह कर दिखाया वैशाली के पातेपुर गांव थाना क्षेत्र के नउआ चक निवासी एक फर्जी चिकित्सक आरके सिंह ने
आरके सिंह बरियारपुर में निजी प्रैक्टिस करने के लिए चार वर्ष पहले आया था। कुछ दिनों तक प्रैक्टिस की, लेकिन दुकान नही चली तो बंद कर दी। फिर संतरे के कारोबार में अच्छी – खासी कमाई करने वाला पवन उनके झांसे में आ गया। पवन को चिकित्सा के क्षेत्र में घोर संभावनाएं दिखाकर आरके सिंह ने अपने जाल में फंसा लिया । पवन के पास पैसा था, लेकिन सड़क किनारे जमीन नही होने के कारण नारायण यादव की जमीन को लीज पर ले लिया। उस पर अपने पैसे से तीन रूम की एक क्लिनिक खोल दी। पवन एवं नारायण यादव दोनो इसके संचालक बन गए और आरके सिंह सर्जन।

ससुर से कंपाउंडरी का सीखा हुनर :
आरके सिंह अपने साथ जितेंद्र कुमार को ओटी अस्टिटेंट के रूप में काम करने के लिए लाता था। आरके सिंह के पास कोई डिग्री नही रहते हुए भी अपने ससुर मजीदिया निवासी प्यारे सिंह से कंपाउंडरी का हुनर सीखा। उसके बाद उसने अपने बलबूते झोलाछाप प्रैक्टिक्स करनी शुरू कर दी। वह खुद नउवाचक में न रहकर कच्ची पक्की के समीप अपना घर बनाकर रहता है। छोटे-छोटे निजी नर्सिंग होम में बतौर फिजिशियन एवं सर्जन का काम करता है। उसने फर्जी नर्सिंग होम को खड़ी कर अच्छी-खासी संपत्ति हासिल की है। चांदपुर फतह चौक के समीप स्थित जीवन सहारा क्लिनिक में बतौर ओटी अस्टिटेंट के रूप में काम कर रहे जितेंद्र कुमार को वह अपने साथ रखा था, लेकिन कुछ लोगो का कहना हैं की जितेंद्र पवन की क्लिनिक पर नहीं आता था। हालांकि सकरा एवं बरियापुर पुलिस ने पातेपुर स्थित जीवन सहारा क्लिनिक में छापेमारी की, जहां चिकित्सक एवं ओटी अस्टिटेंट गायब मिले ।